Sunday, December 6, 2020

चाँद तारो के आँगन में

 चाँद तारो के आँगन में  लढ चुके हम अपनी लढाई ।

लोगो ने अपने हिसाब से हमारी कहानी  बनायी ।।


ये जंग सीतारो ने लिखी ऐसा कहकर लढे हम जिंदगीभर | 

जमानेने भी बदलते बदलते कथा काव्य लिखे हमपर || 


जब तक सूरज चाँद रहेगा हमारी कहानी बनती रहेगी | 

हर भूमिका को न्याय और हर दिशा में स्वीकार ये कहेगी || 


हम ज़माने का और एक चेहरा देखे हैं | 

प्रेम को फिर भी रोखे हैं || 

बहुत कहानिया सुनायी प्यार की पर सुनने सुनाने वाले ना बता पाए ये बात | 

कौनसी कहानी ऐसी पायी जहा प्यार जीता मिला सवेरा ना मिली काली रात || 


यही जमाना है जिसका अंग मिनट और जंग है | 

प्यार और मजे के लिए कहा कोई जगह है || 

मानो या ना मानो  चाँद तारो के आँगन में  बहुत कुछ चलता रहेगा | 

हर एक का नसीब और  बाहुबल जंग के बीज बोएगा || 


सादिया बीती, सितारों ने चलाई -


हर एक ज़माने में लढाई 

वही लढाई हमने लढी 

तुम भी लड़ो आगे बढ़ो | 

फिर लढेंगे भाई भाई 

फिर ज़माने मे जंग खड़ी 

जल्दी दौड़ो झंडे गाडो || 


ताँकि तुम कह सको अपनों से बच के रहना सपनो से |

क्योकि तुमने लड़ी होगी तुम्हारी लड़ाई फिर लोग बनाएंगे तुम्हारी कहानी || 



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