चाँद तारो के आँगन में लढ चुके हम अपनी लढाई ।
लोगो ने अपने हिसाब से हमारी कहानी बनायी ।।
ये जंग सीतारो ने लिखी ऐसा कहकर लढे हम जिंदगीभर |
जमानेने भी बदलते बदलते कथा काव्य लिखे हमपर ||
जब तक सूरज चाँद रहेगा हमारी कहानी बनती रहेगी |
हर भूमिका को न्याय और हर दिशा में स्वीकार ये कहेगी ||
हम ज़माने का और एक चेहरा देखे हैं |
प्रेम को फिर भी रोखे हैं ||
बहुत कहानिया सुनायी प्यार की पर सुनने सुनाने वाले ना बता पाए ये बात |
कौनसी कहानी ऐसी पायी जहा प्यार जीता मिला सवेरा ना मिली काली रात ||
यही जमाना है जिसका अंग मिनट और जंग है |
प्यार और मजे के लिए कहा कोई जगह है ||
मानो या ना मानो चाँद तारो के आँगन में बहुत कुछ चलता रहेगा |
हर एक का नसीब और बाहुबल जंग के बीज बोएगा ||
सादिया बीती, सितारों ने चलाई -
हर एक ज़माने में लढाई
वही लढाई हमने लढी
तुम भी लड़ो आगे बढ़ो |
फिर लढेंगे भाई भाई
फिर ज़माने मे जंग खड़ी
जल्दी दौड़ो झंडे गाडो ||
ताँकि तुम कह सको अपनों से बच के रहना सपनो से |
क्योकि तुमने लड़ी होगी तुम्हारी लड़ाई फिर लोग बनाएंगे तुम्हारी कहानी ||
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